07. बड़ी जयमाला
बड़ी जयमाला तर्ज-चाँद मेरे आ जा रे……. अर्घ्य का थाल सजाया है-२, समयसार की जयमाल का…
बड़ी जयमाला तर्ज-चाँद मेरे आ जा रे……. अर्घ्य का थाल सजाया है-२, समयसार की जयमाल का…
(पूजा नं.-6) आचार्य श्री कुन्दकुन्द स्वामी की पूजन (तर्ज-माता तू दया करके……..) गुरुवर तेरी पूजा ही, मुझे पूज्य बनाएगी। तेरी सौम्य सहज मुद्रा, मेरे मन में समाएगी।। हे कुन्दकुन्द स्वामी, तव…
(पूजा नं.-5) मोक्ष अधिकार एवं सर्वविशुद्धज्ञान अधिकार पूजा स्थापना-अडिल्ल छन्द समयसार की पूजन कर लो भाव से। उसका अध्यन करो भव्यजन चाव से।। मोक्ष व सर्व विशुद्ध ज्ञान अधिकार है। आह्वानन स्थापन करलूं आज मैं।।१।। ॐ ह्रीं मोक्षाधिकारसर्वविशुद्धज्ञानाधिकारसमन्वितश्रीसमयसारग्रंथराज! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
(पूजा नं.-4) आस्रव-संवर-निर्जरा-बंध अधिकार पूजा स्थापना-स्रग्विणी छन्द अर्चना मैं करूं श्री समयसार की, वंदना मैं करूं श्री समयसार की। शुद्ध अध्यात्मपथ है समयसार ही, सार में सार है यह समयसार ही।।टेक.।। तत्त्व आश्रव व संवर कहा निर्जरा, बंध के साथ संबंध सबका कहा। चार अधिकार क्रम से ये माने गये, इन सहित पूजा कर लूँ…
(पूजा नं.-3) कर्ता-कर्म अधिकार एवं पुण्य-पाप अधिकार पूजा -स्थापना- तर्ज-सपने में रात में……… श्री समयसार पूजन का थाल सजाया है। शुद्धात्म तत्त्व पाने का भाव बनाया है।।टेक.।। तीजा अधिकार है इसमें,…
(पूजा नं.-2) जीवाधिकार एवं अजीवाधिकार पूजन स्थापना-अडिल्ल छन्द समयसार के दश अधिकारों में प्रथम। और दुतिय अधिकार का इसमें है कथन।। इसका अर्चन भेदज्ञान प्रगटाएगा। पूजक तो श्रुतपूजन का फल पाएगा।।१।। -दोहा- समयसार की अर्चना, करे शुद्ध नित भाव। आह्वानन स्थापना, दे शुद्धातम भाव।।२।। ॐ ह्रीं जीवाधिकार-अजीवाधिकारसमन्वित श्रीसमयसार ग्रंथराज! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
श्री समयसार महाग्रंथ पूजन पूजा नं.-1 (समुच्चय पूजन) -स्थापना (शंभु छंद)- श्री कुन्दकुन्द आचार्य रचित, चौरासी पाहुड़ ग्रंथों में। है समयसार इक मुख्य ग्रंथ, जो है विभक्त नवतत्त्वों में।। शुद्धात्मतत्व का सार इसे, पढ़कर जाना जा सकता है। जो नग्न दिगम्बर मुनियों द्वारा, ही पाला जा सकता है।।१।। -दोहा- समयसार की अर्चना, करे शुद्ध नित…
भगवान मुनिसुव्रतनाथ जन्मभूमि राजगृही तीर्थ पूजा -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती तर्ज-फूलों सा चेहरा तेरा…….. …
शनिग्रहारिष्ट निवारक मंत्र १. ॐ नमोऽर्हते भगवते श्रीमते मुनिसुव्रतनाथतीर्थंकराय वरुणयक्ष-बहुरूपिणीयक्षीसहितायॐ आं क्रौं ह्रीं ह्र: शनिमहाग्रह! मम (……) दुष्टग्रहरोगकष्टनिवारणं सर्वशांतिं च कुरु कुरु हूँ फट् स्वाहा।(२३००० जाप्य) …
शनिग्रहारिष्ट निवारक श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्र पूजा -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती स्थापना-गीता छंद मुनिसुव्रतेश जिनेन्द्र की, हम सब करें आराधना।…