25. रुचकगिरि जिनमंदिर पूजा
(पूजा नं. 23) रुचकगिरि जिनमंदिर पूजा स्थापना (गीताछंद) वर द्वीप तेरहवाँ रुचकवर, बहुरुचिक विख्यात है। इस मध्य वलयाकार सुंदर, रुचकवर नग ख्यात है।। योजन चुरासी सहस विस्तृत, तुंग भी इतना कहा। चारों दिशा के जिनभवन को, भक्तिवश पूजूँ यहाँ।।१।। ॐ ह्रीं रुचकवरपर्वतस्थितचतुर्दिक्सिद्धकूटजिनालयजिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …