पाँचवें तीर्थंकर भगवान सुमतिनाथ का जीवन दर्शन
पाँचवें तीर्थंकर भगवान सुमतिनाथ का जीवन दर्शन
पाँचवें तीर्थंकर भगवान सुमतिनाथ का जीवन दर्शन
चौथे तीर्थंकर भगवान अभिनंदननाथ का जीवन दर्शन
दूसरे तीर्थंकर भगवान अजितनाथ का जीवन दर्शन जन्मभूमि-अयोध्या (उत्तर प्रदेश) पिता-महाराज जितशत्रु माता-महारानी विजया वर्ण-क्षत्रिय वंश-इक्ष्वाकु देहवर्ण-तप्त स्वर्ण सदृश चिन्ह-हाथी आयु-बहत्तर लाख पूर्व वर्ष अवगाहना-अट्ठारह सौ हाथ गर्भ-ज्येष्ठ कृ. अमावस्या …
प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का जीवन दर्शन
अनाधिनिधन महामंत्र, तीर्थ आदि जो अनादि-अनंत हैं (आज जो उपलब्ध हैं) १. णमोकार मंत्र अनादि है। २. चत्तारि मंगल पाठ अनादि है। ३. दो तीर्थ अनादि हैं–अयोध्या, सम्मेदशिखर। ४. मास, तिथियाँ अनादि हैं। श्रावण, भाद्रपद आदि मास, प्रतिपदा, द्वितीया आदि तिथियाँ, कृष्ण-शुक्ल पक्ष। ५. अष्टमी–चतुर्दशीपर्व, नंदीश्वरपर्व, सोलहकारण, दशलक्षण, पंचमेरू व रत्नत्रयपर्व व्रत अनादि हैं। देवगण…
सर्व आर्यिका वंदना जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में, चतुर्थ काल से लेकर भी। इस पंचमकाल के अंतिम तक, सर्वश्री संयतिका होंगी।। ब्राह्मी माता से सर्वश्री, माता तक जितनी संयतिका। जो हुईं हो रहीं होवेंगी, मैं नमूँ भक्ति भवदधि नौका।।२।।
चौबीस तीर्थंकर के समवसरण की आर्यिकाओं की वंदना पचास लाख छप्पन सहस, दो सौ तथा पचास। समवसरण की साध्वियां, और अन्य भी खास।। अट्ठाइसों मूलगुण, उत्तर गुण बहुतेक। धारें सबहीं आर्यिका, नमूँ नमूँ शिर टेक।।१।।
ऋषभदेव के शासन की आर्यिकाओं की वंदना श्री ऋषभदेव के शासन में, आर्यिका मात अगणित मानी। उनके चरणों में नित्य नमूँ, ये संयतिका पूज्य मानी।। इनकी स्तुति पूजा करके, हम त्याग धर्म को भजते हैं। संसार जलधि से तिरने को, आर्यिका मात को नमते हैं।।३।।
आर्यिका श्री सुंदरी माता आदि की वंदना सुंदरी आर्यिका मात आदि, त्रय लाख पचास हजार कही। मूलोत्तर गुण से भूषित ये, इन्द्रादिक से भी पूज्य कहीं।। इनकी भक्ती स्तुति करके, हम त्याग धर्म को भजते हैं। संसार जलधि से तिरने को, आर्यिका मात को नमते हैं।।२।।
गणिनी-आर्यिका-श्री ब्राह्मी माता की वंदना श्री ऋषभदेव के समवसरण में, ब्राह्मी-गणिनी मानी हैं। श्री ऋषभदेव की पुत्री ये, साध्वी में प्रमुख बखानी हैं।। रत्नत्रय गुणमणि से भूषित, ये शुभ्र वस्त्र को धारे हैं। इनकी स्तुति वंदन भक्ती, हमको भवदधि से तारे है।।१।।