सनी चौहान
सनी चौहान बिना वैचारिक स्वतंत्रता के बुद्धि जैसी कोई चीज नहीं हो सकती अपनी आजादी के तमाम ताम झाम बनाने वाला इंसान हर दिन और अधिक गुलाम होता जा रहा है ” मानसिक गुलामी कितनी खतरनाक हो सकती है यह हम उस तोते से समझ सकते है , जिसे शुरुआत से ही पिंजड़े में बंद…