छदामीलाल जैन!
छदामीलाल जैन
श्रीमति सुनीता जैन श्रीमति सुनीता जैन कालेज आफ इंजीनियरिंग रुड़की की उपाध्यक्षा हैं । आपने दिल्ली विश्वविद्यालय से 1973 में स्नातक एवं 1975 में ऑपरेशन रिसर्च जैसे नवोदित विषय में परास्नातक की उपाधि प्राप्त की । शिक्षा के अभिभूत विकास में विद्यार्थियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आपने कोर के विकास में प्रत्येक…
शान्तिसागरमहाराज जन्मकाल और बाल्यावस्था गौरवशाली प्रकाशपुंज आचार्य कुन्दकुन्द,स्वामी समंतभद्र, विद्यानंदी, जिनसेन इत्यादि आचार्यों की जन्मभूमि तथा उपदेश से पवित्र कर्नाटक प्रदेश में आचार्यश्री १०८ शांतिसागर महाराज का जन्म हुआ। बेलगाँव जिले में भोज ग्राम के भीमगौंडा पाटील की धर्मपत्नी सत्यवती थीं। सन् १८७२ में आषाढ़ कृष्णा षष्ठी के दिन माता सत्यवती ने अपने पीहर…
बीसवीं सदी के प्रथम पट्टाचार्य प्रशान्तमूर्ति आचार्य श्री वीरसागर महाराज इस भारत वसुन्धरा पर समय-समय पर अनेकों रत्नों ने जन्म लेकर इस धरा को अलंकृत किया है। उनमें से एक श्रेष्ठरत्न आचार्य श्री वीरसागर जी महाराज हो चुके हैं, जिनसे मैंने आर्यिका दीक्षा को प्राप्त कर महाव्रत से अपने जीवन को पवित्र बनाया है। हैदराबाद…
भगवान शांतिनाथ का जीवन परिचय कुरुजांगल देश की हस्तिनापुर राजधानी में कुरुवंशी राजा विश्वसेन राज्य करते थे। उनकी रानी का नाम ऐरावती था। भगवान शांतिनाथ के गर्भ में आने के छह महीने पहले से ही इन्द्र की आज्ञा से हस्तिनापुर नगर में माता के आंगन में रत्नों की वर्षा होने लगी और श्री, ह्री, धृति…
[[श्रेणी:नौ बलभद्र,नारायण एवं प्रतिनारायण]] == ”सुप्रभ बलभद्र एवं पुरुषोत्तम नारायण” भगवान अनंतनाथ के समय में सुप्रभ बलभद्र और पुरुषोत्तम नारायण हुए हैं। इनका संक्षिप्त विवरण सुनाया जा रहा है- इसी जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र के पोदनपुर में राजा वसुषेण राज्य करते थे, उनकी पाँच सौ रानियों में नंदा महारानी राजा को अतीव प्रिय थीं। मलयदेश के…
सुधर्म बलभद्र एवं स्वयंभू नारायण भगवान विमलनाथ के तीर्थ में सुधर्म बलभद्र एवं स्वयंभू नारायण हुए हैं। उन्हीं का संक्षिप्त चरित कहा जा रहा है-जम्बूद्वीप के पश्चिमविदेह में मित्रनंदी राजा धर्मन्यायपूर्वक प्रजा का पालन कर रहे थे। किसी समय सुव्रतजिनेन्द्र के पादमूल में धर्मोपदेश सुनकर भोगों से विरक्त हुए जैनेश्वरी दीक्षा ले ली और आयु…
सुदर्शन बलभद्र एवं पुरुषसिंह नारायण भगवान धर्मनाथ के तीर्थ में सुदर्शन बलभद्र एवं पुरुषसिंह नारायण हुए हैं। उनका संक्षिप्त इतिहास कहा जाता है- इसी भरतक्षेत्र के राजगृह नगर में सुमित्र नामक राजा थे, वे बहुत ही अभिमानी थे। किसी समय मल्लयुद्ध में कुशल एक राजसिंह नाम के राजा उस सुमित्र राजा के गर्व को नष्ट…
विद्वान भारत डॉ. अजितकुमार जैन अकार्बनिक रसायन शास्त्र प्राध्यापक-रसा. शास्त्र फोनः 07592-251303 (का.) युवराज क्लब के सामने, मो. 094251 49998 क्लब रोड, विदिशा-464001(म.प्र.) प्रो. प्रेमचन्द्र जैन जैन शास्त्र एवं अनेक जैन प्रोफेसर.-इंजीनियरिंग कॉलेज ग्रंथो के अंग्रेजी अनुवाद नवभारत प्रेस के निकट, फोन 07592-235446 लोहांगी, मोबा 094256-42146 विदिशा-(म.प्र.) डॉ. आर.के. जैन फोनः 07592-251347 प्राध्यापक-वनस्पति शास्त्र मोबा.09993954400…