पूज्य गणिनी ज्ञानमती अष्टक!
पूज्य गणिनी ज्ञानमती अष्टक गुरुओं का सम्मान जहाँ पर, करे नित्य भवि प्राणी। तारे और सितारे उनके, श्री गुण गाते भारी।।१।। जब गुरु भक्ति से निश्चित ही, चिंतामणि रत्न मिले हैं। फिर कल्पवृक्ष सम सुंदर, जन-जन पंकज क्यों न खिले हैं।।२।। गुलाब के कांटों में सदा ही, फूल खिला करते हैं। पूज्य गणिनी ज्ञानमती जी…