अहिंसा अणुव्रत की कहानी!
अहिंसा अणुव्रत की कहानी हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग्रह इन पाँचों पापों के अणु अर्थात् एकदेश त्याग को अणुव्रत कहते हैं। अहिंसा अणुव्रत-मन, वचन, काय और कृत, कारित, अनुमोदना से संकल्पपूर्वक (इरादापूर्वक) किसी त्रस जीव को नहीं मारना अहिंसा अणुव्रत है। जीव दया का फल चिंतामणि रत्न की तरह है, जो चाहो सो मिलता…