तृतीय व्यसन-मदिरापान दुःख का कारण है
तृतीय व्यसन (मदिरापान दुःख का कारण है !) सात व्यसनों में मदिरापान तृतीय व्यसन है जो कि प्रत्यक्ष में ही दुःख का कारण दिखाई देता है। पं. दौलतराम जी ने छहढाला में कहा है—जे त्रिभुवन में जीव अनन्त, सुख चाहें दुखतें भयवन्त किन्तु दुःख से डरने वाले प्राणी जब स्वयं दुःखोत्पादक सामग्री एकत्रित करने…