वासना मुरझा गई
वासना मुरझा गई (काव्य चौदह एवं पंद्रह से सम्बन्धित कथा) गुटिका को खाते देर न हुई कि उसने अपना रंग जमाना प्रारम्भ कर दिया। आँखों में मादकता टपकने लगी; मुँह सुर्ख हो गया; शरीर की नसों में तनाव सा आ गया।पौरुष मनुष्यता की मर्यादा का उल्लंघन कर आपे से बाहर निकलने के लिये बेचैन हो…