इहभविक!
इहभविक Of this world. इस लोक का ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
तत्ववती धारणा Auspicious conceptual meditation with contem-plation. पिंडस्थ ध्यान की एक धारणा जिसमें अपनी आत्मा को अतिशय युक्त, सिंहासन पर आरूढ,कल्याण की महिमा सहित देव, दानव धरणेन्द्रादि से पूजित है, ऐसा चिन्तन करना। तत्पश्चात अपने शरीर में प्राप्त आठों कर्मो से रहित निर्मनल पुरूषाकार आत्मा का चिंतवन करना। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
उद्योत शुद्धि Careful act of walking (in day light). सूर्य के प्रकाश में जब साफ भूमि दिखने लगे तब मुनि 4 हाथ भूमि देखकर चलते हैं इसे ही उद्योतशुद्धि कहते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आह्वान Invocation. आमंत्रण बुलाना पूजन के पहले स्थापन में पूज्य की विनय के लिए आह्वान एक विधि है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
इन्द्रविधिदान क्रिया An auspicious and sacred act (to handover the duties by Indra). 45 वीं गर्भान्वय क्रिया- इस क्रिया में इन्द्र पद को प्राप्त जीव नम्रीभूत देवों को अपने अपने पदों पर नियुक्त करता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गोत्र कर्म प्रकृति Status determining Karmas. जिस कर्म के उदय से जीव उच्च और नीच कहा जाता है या उच्च-नीच कुल में उत्पन्न होता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीपाल चरित – Shreepaala Charita. Name of many books written by different writers. सकलकीर्तिकृत संस्कृत छंदोंबद्ध (ई. 1406-1442), भट्टारक श्रुतसागर कृत संस्कृत गद्य रचना (ई. 1487-1499), कवि परिमल्ल (ई. 1594) कृत, ब्र. नेमिदत्त (ई. 1428), वादिचन्द्र (वि. 1637-1664) कृत हिन्दी गीत काव्य, पं. दौलतराम (ई. 1720-1772) कृत भाषा ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशान्तता क्रिया- दीक्षान्वय की एक क्रिया; नाा प्रकार के उपवास आदि की भावनाओं को प्राप्त होना। Prasantata Kriya- An act of consecration, to having feelings fasting etc
गुल्म सेना का एक अंग जिसमें ९ रथ, ९ हाथी, ४५ पैदल और २७ घोड़े रहते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]