वर्तमान ग्राही नय!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्तमान ग्राही नय – Vartmaana Graahii Naya.: A standpoint believing the present mode (Paryay). ऋजुसूत्र नय , जो भूत भावी पर्याय को छोड़कर वर्तमान पर्याय को ही ग्रहण करता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्तमान ग्राही नय – Vartmaana Graahii Naya.: A standpoint believing the present mode (Paryay). ऋजुसूत्र नय , जो भूत भावी पर्याय को छोड़कर वर्तमान पर्याय को ही ग्रहण करता है “
देहदेवालय Body as a temple; Place of Lord in the inner part of one’s body. निज परमात्मा का इस नश्वर शरीर रूपी देवालय में स्थान।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्म (स्वर्ग) – Brahma (Svarga). Name of the 3rd Patal (layer) of Brahmayugal and the fifth particular place of heaven. ब्रह्रायुगल का तृतीय पटल, कल्पवासी स्वर्गों का पाँचवा कल्प “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == नय : == तह ववहारेण विणा, परमत्थुवएसणमसक्कम्। —समयसार : ८ व्यवहार (नय) के बिना परमार्थ (शुद्ध आत्मतत्त्व) का उपदेश करना अशक्य है। स्वाश्रितो निश्चय:। —अध्यात्म सूत्र : १-८ स्व अर्थात् उस ही एक द्रव्य के आश्रय से जो बोध है, वह निश्चय—नय है। पराश्रितो व्यवहार:। —अध्यात्म सूत्र : १-९…
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यज्ञदत्त–Yagyadatta. Name of the 48th& the 51st chief disciples of Lord Rishabhadev. तीर्थंकर वृषभदेव के क्रमशः 48वे एवं 51वेगणधरो का नाम”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूत्रसम – Sutrasama. Scriptural knowledge possessed by the Gandhardev, the chief disiple of Tirthankar (Jaina-Lord). तीर्थकर के मुख से निकला बीजपद सूत्र कहलाता है और जो उस सूत्र से उत्पन्न होता है वह गणधरदेव में स्थित श्रुतज्ञान ’सुत्रसम’ कहा गया है।
देशाख्यान To describe a country, mountain, island, ocean etc., of a part of universe. लोक के किसी एक भाग के देश , पर्वत , द्वीप तथा समुद्र आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बासी भोजन – BasiBhojana. Stale food. एक दिन पहले का बना हुआ भोजन “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भवसिद्ध – Bhavasiddha. Most virtuous and worthy being, who can attain salvation. भव्य; जो जीव सिद्ध पद की प्राप्ति के योग्य हैं उन्हें भवसिद्ध कहते हैं “