आलोचना!
आलोचना Criticism (assessment of self). गुरु के पास अपने अपराधों को कहना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आलोचना Criticism (assessment of self). गुरु के पास अपने अपराधों को कहना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैराग्य –Vairagya Aversion from worldly life, to be free from all worldly attachments. संसार शरीर तथा भोगों से विरक्त भाव अथवा उदासीन या शांतभाव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लौकिक –Laukika : Worldly behaviour ,knowledge etc. व्यवहारिक (व्यवहार में प्रयुक्त होने वाला ज्ञान क्रिया आदि).
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चयक्षमा – Nishchayaksamaa. Absolute liberal conduct, free from agitation on other’s misconduct. साधुओं आदि को दुष्टजनद्वारा गाली-गलौच, उपहास, तिरस्कार आदि करने पर भी उनके मन में कलुषता का उत्पन्न होना व्यवहार क्षमा है तथा क्रोध के अभाव में आत्मा में तन्मयता का होना निश्चय क्षमा है “
उपादान कारण(शाश्वत) Affluent cause (eternal). सत्य व अमर उपादान कारण।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शांत कषाय – Shanta Kashaaya. Subsided passion. उपशांत कषाय “
उपस्थापना An expiation, Reinitiation . प्रायश्चित किसी साधु का ऐसा अपराध हो जिससे उसकी दीक्षा छेदकर पुनः दीक्षा दी जाये।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मलोक – Brahmaloka. An upper world (the 5th heaven). ५ वां स्वर्ग, लौकांतिक देवों की निवास भूमि “