स्वदार संतोष!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वदार संतोष – Svadaara Sanntosa. Satisfaction with own wife.अपनी विवाहित स्त्री मे ही संतुष्ट रहना और शेष स्त्रियो के प्रति माता, बहन, पुत्रीवत् निर्मल भाव रखना। इसे ब्रह्मचर्याणुव्रत भी कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वदार संतोष – Svadaara Sanntosa. Satisfaction with own wife.अपनी विवाहित स्त्री मे ही संतुष्ट रहना और शेष स्त्रियो के प्रति माता, बहन, पुत्रीवत् निर्मल भाव रखना। इसे ब्रह्मचर्याणुव्रत भी कहते है।
जयमित्रहल Name of the writer of ‘Mallivah Kavva’. अपभ्रंश कवि , ‘ मल्लीवाह कव्व ‘ के रचयिता ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वचारित्र – Svacaaritra. Super right conduct.स्वरुपाचरण चारित्र अथवा वीतराग चारित्र का अपरनाम। 7वे गुणस्थान के अंत से इस चारित्र का प्रारम्भीकरण होता है।
चतुर्गति Four body forms or destinities; Hell, Animals and Plants, Human beings and Deities. चार गतियाँ ; नरक , तिर्यंच , मनुष्य व देवगति ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
जयवान् Name of the 5th saint among 7 particular saints (Saptarishis). सप्तऋषियों में ५वें ऋषि।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्याद्वादचंद्रिका टीका – Syaadvaadav Camdrikaa Tikaa.See- Niyamasaara Praabhrta.देखे- नियमसार प्राभृत।
जन्मसंस्कार क्रियामंत्र Rituals for birth ceremony. एक गर्भाधान क्रिया ‘जन्म संस्कार’ के मंत्र ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्यादनेक प्रदेषत्व – Syaadanekatva Pradessatva. A matter with different dispositions (in some aspect).भेद कल्पना सापेक्ष अशुद्व द्रव्यार्थिक नय की अपेक्षा से एक ही द्रव्य मे अनेक प्रदेषो की उपलब्धि होना। धर्म, अधर्म, आकाश और जीवद्रव्य के अनेक या नाना प्रदेश स्वभाव है।
फलदान State of Karma causing fruition. अपने फल के उत्पन्न करने में समर्थ कर्म अवस्था । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]