पूर्वाफाल्गुनी!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पूर्वाफाल्गुनी – Purvaphalguni. Name of a lunar. एक नक्षत्र का नाम “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पूर्वाफाल्गुनी – Purvaphalguni. Name of a lunar. एक नक्षत्र का नाम “
चतुर्थकाल The fourth division of Avasarpini Kal (regressive half cycle of time). अवसर्पिणी काल के ६ भेदों में दुषमा-सुषमा नामक चौथा भेद , जिसमें २४ तीर्थंकर जन्म लेते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
ख The second consonant of the Devanagari syllabary. देवनागरी लिपि का दूसरा व्यंजन अक्षर , इसका उच्चारण स्थान कंठ है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]] अथवा Sky, Sense organ, Infinite. आकाश, इन्द्रिय, अनंत या अनंता की अपेक्षा सहनानी ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यंत्रेशयंत्र–Yantresa yantra. A metallic plate engraved with some auspicious mystic diagram & words. एक विशेष यंत्र; यंत्रेश मंत्र की विभिन्न रेखाक्रतियो में चित्रित रचना”
खट्वांङ्ग Human skull placed on a bone (symbol of a terrific divinity). एक हड्डी पर मानव खोपड़ी का होना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्यासागर – Vidyashagara. Name of a great Digambar Jain Acharya of 20th century. चारित्रचक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज के द्वितीय पट्टाधीश आचार्य श्री शिवसागर महाराज के शिष्य मुनि श्री ज्ञानसागर महाराज (जो बाद में समाज द्वारा आचार्य बनाये गये) द्वारा दीक्षित बीसवीं सदी के एक प्रभावक आचार्य “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == गुरु : == सं किं गुरु: पिता सुहृदा योऽभ्यसूययाऽर्भं बहुदोषम्, बहुषु वा दोषं प्रकाशयति न शिक्षयति च।। —नीतिवाक्यामृत : ११-५३ वे गुरु, पिता व मित्र निन्दनीय या शत्रु सदृश हैं, जो ईष्र्यावश अपने बहुदोषी शिष्य, पुत्र व मित्र के दोष दूसरों के समक्ष प्रकट करते हैं और उसे…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिवादी – Prativaadee. Respondent, defendant. प रतिपक्षी, विपक्षी “