चतुरस्त्र!
चतुरस्त्र Quadrilateral. चर्तुभुज अर्थात् चार भुजाओं वाला ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहेतुक वन – Sahetuka Vana. Name of initiation & ommiscience forests of 9 Tirthankars (Jaina-Lords)-Ajitnath, Sambhavanath, Sumatinath, Suparshvanath, Sheetalnath, Vimalnath, Anantnath, Kunthunath & Arahnath. तीर्थकर अजितनाथ, संभवनाथ, सुमितनाथ, सुपाष्र्वनाथ, शीतलनाथ, विमलनाथ, अनंतनाथ, कुंथुनाथ, अरनाथ का दीक्षा एवं केवलज्ञान वन ।
त्रैविद्यदेव Title for some Acharyas in Nandi sangh (group) etc. कतिपय आचार्यों की उपाधि जैसे नन्दि संघ के देशीयगण की गुर्वावली के अनुसार पाँच आचार्यों की उपाधि, कातंत्र रूपमाला व्याकरण के भावसेन – त्रैविद्य टीकाकार आदि। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रामपुत्र – भगवान महावीर के तीर्थ में हंुए 10 अन्तकृत कंेवलियों में चैथंे केचली। Ramaputra-Name of an omniscient of the assembly of lord Mahavira
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रभंकर- सौधर्म स्वर्ग का 27 वाँ पटल व इन्द्रक। prabhamkara – name of the 27th patal (layer) of indrak of saudharma heaven.
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रदेश छेदना- छेदना का एक भेद। ऊध्र्व, अधः आदि प्रदेषें के द्वारा द्रव्यों का पृथक् होना। pradesa chedana – separation of matters
चतुरावश्यक Four super necessities of the 7th stage of spiritual development. अनंतगुणी विशुद्धि , अप्रशास्ता प्रकृतियों की अनंतगुणी हानि, प्रशस्त प्रकृतियों में अनंतगुणी वृद्धि , स्थिति बंधापसरन ये ४ आवश्यक कार्य अधःप्रवृत्तकरण संयत अर्थात् सप्तम गुणस्थानवर्ती मुनि के होते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संशय मिथ्यात्व – Sanshaya Mithyaatva. A doubtful state or confusion, a kind of wrong belief. 5 प्रकार के मिथ्यात्वों में एक मिथ्यात्व ” मिथ्यात्व कर्म के उदय से तत्त्वों के स्वरुप में यह है या नहीं ऐसा संदेह होना ” अथवा देव और धर्म के स्वरुप में यह ठीक है या नहीं ऐसा निर्णय…
त्रिलोकगुरू One who is great in all three worlds. अनंत ज्ञानादि महान गुणों के द्वारा जो तीन लोकों में भी महान् है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]