जंबूस्वामी!
जंबूस्वामी The last omniscient of the present age. भाग वान महावीर के पश्र्चात् अंतिम एवं तिर्तीय अनुबद्ध केवली (ई.पू. ५०३-४६५), ये राजगृही में जन्मे एवं मथुरा से मोक्ष प्राप्त किया ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
जंबूस्वामी The last omniscient of the present age. भाग वान महावीर के पश्र्चात् अंतिम एवं तिर्तीय अनुबद्ध केवली (ई.पू. ५०३-४६५), ये राजगृही में जन्मे एवं मथुरा से मोक्ष प्राप्त किया ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वोैषध ऋद्धि – Sarvaushadha Riddhi. A type of supernatural medicinal power of curing one from disease. जिस ऋद्धि के प्रभाव से दुष्कर तप से युक्त मुनियों का स्पर्ष किया हुआ जल, वायु, तथा उनके रोम व नखादिक व्याधि के हरने वाले हो जाते है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूमिमित्र – Bhumimitra. Name of a king of Shrenik dynasty of magadh state. मगध राज्य के श्रेणिक वंश का एक राजा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वानुकंपा – Sarvaanukampaa. Great feeling of compassion. अनुकंपा के 3 भेदों में एक भेद । दुखी प्राणियों को स्वस्थ करना, उनकी पीडा का उपषम करना यह सर्वानुकंपा है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष]] == निर्लेप : == चरदि जदं जदि णिच्चं, कमलं व जले णिरुवलेवो। —प्रवचनसार : ३-१८ यदि साधक प्रत्येक कार्य यतना से करता है, तो वह जल में कमल की भाँति निर्लेप रहता है।
छहारदशमी व्रत A famous vow in Shvetambar sect. श्र्चताम्बर आम्राय में प्रचलित एक व्रत ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सरस्वतीयंत्र – Sarasvatee Yamtra. A metallic plate engraved with some auspicious mystic words & diagrams & related to the power of learning. विभिन्न रेखाकृतियों मे चित्रित सरस्वती मंत्र के विषिष्ट अक्षर शब्दों से बना यंत्र।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार]] [[श्रेणी:शब्दकोष ]] == द्रव्य : == आकाशकालजीवा:, धर्माधर्मौ च र्मूितपरिहीना:। मूर्तं पुद्गलद्रव्यं, जीव: खलु चेतनस्तेषु।। —समणसुत्त : ६२६ आकाश, काल, जीव, धर्म और अधर्म द्रव्य अर्मूितक हैं। पुद्गल द्रव्य र्मूितक है। इन सबमें केवल जीव द्रव्य ही चेतन है। दव्वं सल्लक्खणयं उप्पादव्वयधुवत्तसंजुत्तं। —पंचास्तिकाय : १० द्रव्य का लक्षण सत् है और वह सदा…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वरक्षित – Sarvaraksita. Name of a specific heavenly deity-a Laukantik Dev. एक लौेकांतिक देव । यह तुषित और अव्याबाध लौकांतिक देव के मध्य में है।