आसादन!
आसादन Death of demoralized saints. ज्ञानवरणीय- दर्शनावरणीय कर्म के आस्रव का कारण जो ज्ञान का प्रकाश कर रहा है। तब शरीर या वचन से उसका निषेध करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आसादन Death of demoralized saints. ज्ञानवरणीय- दर्शनावरणीय कर्म के आस्रव का कारण जो ज्ञान का प्रकाश कर रहा है। तब शरीर या वचन से उसका निषेध करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य द्रव्यमल – Bahya Dravyamala. Excreting materials of the body. स्वेद , मल , रेणु , कर्दम इत्यादि बाह्य द्रव्यम्ल कहलाते है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लवणोदसिद्ध – क्षेत्र की अपेक्षा से लवण समुद्र से सिद्ध होने वाले जीव स्तोक है। Lavanodasiddha-salvated beings from the lavan ocean
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुवसु – Suvashu Name of a king of kuru dynasty. कुरूवंशी एक राजा । यह राजा वसु का 9 वाँ पुत्र था ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूतग्राही नय – Bhutagrahi Naya. Standpoint showing knowledge of past. नय; जिसके अनुसार जन्म से १५ कर्मभूमियों में और संहरण की अपेक्षा सर्व मनुष्य क्षेत्र से सिध्दी होती है ” अर्थात् भूतकाल को ग्रहण करके कथन करने वाला नय “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निराहारता – Niraahaarata. To be foodlessness-an excellence of Lord Arihant (free From hunger). भोजन का abhaअभाव; अर्हत् भगवान के केवलज्ञान का एक अतिशय “
तुंबूलाचार्य Name of a great Acharya. एक आचार्य जिनहोंने षट्खण्ड के प्रथम पांच खण्डों पर चूडामणि नामक अीका की रचना 84000 श्लोकों में की (ई.श.3-4)। अपरनाम तुम्बुलूर आचार्य। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
एकान्त वृद्धावृद्धि One sided increase in purity. देश संयत पंचम गुणस्थान के प्रथम समय से लगाकर अंतर्मुहूर्त पर्संत अनंतगुणी विशुद्धता का बढ़ना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुरेश्वर – Sureshvara. The disciple of Shankaracarya, the writer of ‘Naishkarmya Sidhi’and other treatises. शंकराचार्य के शिष्य (समय-ई0 820), इन्होने नैष्कर्म्य सिद्धि, वृहदारण्यक उपनिषद भाष्य ग्रंथ लिखे है।
[[श्रेणी :शब्दकोष ]] मिश्र उपचारित असद्भूत व्यवहार नय–Mishra Upcharit Asdbhuut Vyavahar Nay. A type of standpoint related to considering ownness in different object as town, state, country etc. राज्य, दुर्ग, नगर आदि जो बिलकुल भिन्न मिश्र जीव पदार्थ है उनको जिस नय से अपना माना जाय”