प्रवृत्ति!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवृत्ति – प्रमाण से किसी वस्तु को जानकर उसे पाने या छोड़ने की इच्छा सहित चेश्टा करना। Pravrtti- Activity, trend, tendency
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवृत्ति – प्रमाण से किसी वस्तु को जानकर उसे पाने या छोड़ने की इच्छा सहित चेश्टा करना। Pravrtti- Activity, trend, tendency
चक्र A wheel, ring, a group, a circular shape, First Patal (layer) of Sanatkumar heaven, Prime jewel of Chakravarti (emperor), See – Dharmacakra. सनत्कुमार स्वर्ग का प्रथम पटल, चक्त्रवारती का एक प्रधान रत्न, देखें- धर्मचक्र ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्याख्यान- pratyakhyana Resolution or determination (for not committing fault) आगामी काल दोश न करने की प्रतिज्ञा करना।
देवर्षि A special type of heavenly deities (Laukantik Dev). लौकांतिक देव।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सज्जन-दुर्जन : == सुजणो वि होइ लहुओ, दुज्जणसंमेलणाए दोसेण। माला वि मोल्लगरुया, होदि लहू मउयसंसिट्ठा।। —भगवती आराधना : ३४५ दुर्जन की संगति करने से सज्जन का महत्व गिर जाता है, जैसे कि मूल्यवान माला मुर्दे पर डाल देने से निकम्मी—तुच्छ, त्याज्य हो जाती है। सरिसे वि मणुयजन्मे डहइ…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्राह्मी – Brahmi. Name of the daughter of Lord Rishabhadeva. इस युग की प्रथम आर्यिका साध्वी; भगवान ऋषभदेव की पुत्री, सर्वप्रथम पिता से लिपि विधा सीखी एंव प्रयाग नगरी में उन्हीं से दीक्षित होकर समवसरण की प्रथम गणिनी बनी “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वस्थान संक्रमंण – Svasthaana Sammkramana. A type of karmic transition. संक्रमण के दो भेदो मे एक भेद। स्वस्थान मे अर्थात् अपने ही अन्य संग्रहकृष्टियो मे संक्रमण करना अर्थात् तद्रूप परिणमन करनां।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == श्रावक : == जो बहुमुल्लं वत्थु, अप्पमुल्लेण णेव गिण्हेदि। वीसरियं पि न गिण्हदि, लाभे थूर्एाह तूसेदि।। — कार्तिकेयानुप्रेक्षा : ३३५ वही सद्गृहस्थ श्रावक कहलाने का अधिकारी है, जो किसी की बहुमूल्य वस्तु को अल्पमूल्य देकर नहीं ले, किसी की भूली हुई वस्तु को ग्रहण नहीं करे और थोड़ा…
[[श्रेणी: शब्दकोष]] स्ववष – Svavasa Own control or self controlled. आत्मवष, जो परभाव को त्यागकर निर्मल स्वभाव वाले आत्मा को ध्याता है वह स्ववष है।