प्रत्यास!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्यास-जां समीप में रहा जाता है वह प्रत्यास कहा जाता है। pratyasa – the nearest place
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्यास-जां समीप में रहा जाता है वह प्रत्यास कहा जाता है। pratyasa – the nearest place
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भंगविधि – Bhamgavidhi. A particular method for obtaining knowledge of something, synonym word for shrutgvan (scrip- tural knowledge). अहिंसा, सत्य, अस्तेय, शील आदि भंग का जिसके द्वारा विधान किया जाता है उसे भंगविधि अर्थात् श्रुतज्ञान कहते हैं “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == शौच : == समसंतोसजलेणं जो धोवदि तिव्व—लोहमल—पुंजं। भोयण—गिद्धि—विहीणो, तस्स सउच्चं हवे विमलं।। —समणसुत्त : १०० समता और संतोष के जल से जो तीव्र लोभ के मल—पुंज को धाया करता है, भोजन की लालसा से जो विहीन हुआ करता है, वह पवित्र शौच धर्म से संपन्न होता है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भदंत – Bhadamta. Respectful word for addressing great ascetics. जो सब कल्याणों को प्राप्त हों वह भदन्त हैं , साधु का अपरनाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रामाण्य- प्रामाणिकता; प्रमाण का कर्म प्रमाण्य कहलाता है वह पदार्थ के निष्चय करने रुप लक्षण वाला होता है। Pramanya- Authenticity, authority
[[श्रेणी:शब्दकोष]] Supreme, Highest state which is originated after the destruction of all Karmas. उत्कृष्ट, समस्त कर्मों का नाश होने पर अपने स्वभाव से जो उत्पन्न है उसे परा कहते है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यज्ञमित्र–Yagyamitr. Name of the 50th chief disciple of Lord Rishabhdev. तीर्थंकर वृषभदेव के 50वे गणधर का नाम”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राभृत- जो प्रकृश्ट अर्थात् तीर्थकर के द्वारा आमृत अर्थात् प्रस्थापित किया गया है वह प्राभृत है। समय प्राभृत या षट् प्राभृत आदि नाम के ग्रंथ। श्रुतज्ञान के 20 भेदों में 15 वाँ भेद; यह ज्ञान प्राभृत-प्राभृत समास में एक अक्षररुप श्रुतज्ञान की वृद्धि होने से होता है। Prabhrta- A type of Scriptural Knowledge (shrutgyan)