गुणस्थान :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == गुणस्थान : == यैस्तु लक्ष्यन्ते, उदयादिषु सम्भवैर्भावै:। जीवास्ते गुणसंज्ञा निर्दिष्टा: सर्वर्दिशभि:।। मिथ्यात्वं सास्वादन: मिश्र:, अविरतसम्यक्त्व च देशविरतश्च। विरत: प्रमत्त: इतर: अपूर्व: अनिवृत्ति: सूक्ष्मश्च।। उपशान्त: क्षीणमोह: संयोगिकेवलिजिन: अयोगी च। चतुर्दश गुणस्थानानि च, क्रमेण सिद्ध: च ज्ञातव्या।। —समणसुत्त : ५४६-५४८ मोहनीय आदि कर्मों के उदय आदि (उपशम, क्षय, क्षयोपशम आदि)…