समवसरण चैत्यवृक्ष स्तोत्र
समवसरण चैत्यवृक्ष स्तोत्र……. —शंभु छंद— चौबिस जिनवर के समवसरण में, चौथी उपवन भू मानी है। चारों दिश इक इक चैत्य वृक्ष, चहुँदिश जिनप्रतिमा मानी हैं।। चारों दिश की जिन प्रतिमा के, सन्मुख में मानस्तंभ खड़े। मैं वंदूं शीश नमा करके, दिन पर दिन सुख सौभाग्य बढ़े।।१।। जय जय श्री जिनवर समवसरण, जयजय चौथी उपवन भूमी।…