भजन
भजन -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी तर्ज—है प्रीत जहाँ की रीत सदा…… प्रभु ऋषभदेव के पुत्र भरत से, भारतदेश सनाथ हुआ। यह आर्यावर्त इण्डिया हिन्दुस्तान नाम से सार्थ हुआ।। टेक.।। यहाँ तीर्थंकर प्रभु लार्ड गॉड, साधूजन सेन्ट कहाते हैं। हो…… यहाँ गुलदस्ते की भांति कई, जाती व पंथ आ जाते हैं।। हो…… चैतन्य तत्त्व की…