भजन
भजन… तर्ज—जंगल के काटों पे…… प्रभु! मेरा मन कब पावन होगा, पाप रहित कब यह मन होगा। गुरु वाणी को सुनकर तन मन पावन होगा।।प्रभु! मेरा.।। टेक.।। कभी सताया निर्बल प्राणी, हिंसा में आनंद लिया। कभी झूठ चोरी के कारण, अशुभ कर्म का बंध किया।। सोचा न इसका क्या फल होगा, पाप रहित कब यह…