भजन
“…भजन…” -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती तर्ज-मनिहारों का रूप………. शारद माता का रूप दिखाया, ज्ञान का तूने अलख जगाया।।टेक.।। दीक्षा लेती न थीं क्वांरी कन्या यहाँ, बीसवीं सदी में तुमने प्रथम पद लिया। ज्ञानमति नाम तब तूने पाया, ज्ञान का तूने अलख जगाया। ।। शारद….।।१।। कोई साहित्य रचना न की साध्वी ने, सैकड़ों ग्रंथ अब रच दिए…