चारित्रचक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज की पूजन
चारित्रचक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज की पूजन -स्थापना- तर्ज-मेरा नम्र प्रणाम है…… वंदन शत शत बार है, शांतिसागराचार्यवर्य को, वंदन शत शत बार है। जिनकी चरण शरण लेने से, होते भवदधि पार हैं।। शांतिसागराचार्यवर्य को………।।टेक.।। द्विविध रत्नत्रय धारण करके, वेष दिगंबर धारा था। पिच्छि कमंडलु मात्र परिग्रह, धरा मोह को मारा था।। विविध तपश्चर्या…