प्रथम पट्टाधीश आचार्यश्री वीरसागर जी महाराज
प्रथम पट्टाधीश आचार्यश्री वीरसागर जी महाराज ओह! कितना सुन्दर स्वप्न! प्रातःकाल की मधुरिम बेला में स्वप्निल निद्रा से उठककर भाग्यवती ने प्रभु का स्मरण किया। रात्रि के पिछले प्रहर में देखा हुआ स्वप्न तो शायद सत्य होता है, यही सोचती हुई भाग्यवती मन में उस स्वप्न के बारे में चिन्तन करती हैं कि मैंने आज…