चौबीस तीर्थंकर के पंचकल्याणक के १२० अर्घ्य
“…चौबीस तीर्थंकर के पंचकल्याणक के १२० अर्घ्य…” -दोहा— तीर्थंकर चौबीस जिन, पंचकल्याणक ईश। पुष्पांजलि से पूजहूँ, नमूँ नमूँ नत शीश।।१।। ।।अथ मंडलस्योपरि पुष्पांजिंल क्षिपेत्।। (१) -शंभु छंद- यह पुरी अयोध्या इंद्र रचित, चौदहवें कुलकर नाभिराज। माता मरुदेवी के आँगन, बहु रत्न वृष्टि की धनदराज।। आषाढ़ वदी द्वितीया सर्वारथ, सिद्धी से अहमिंद्र देव। माता के गर्भ…