चौबीस तीर्थंकरों की कल्याणक तिथियाँ
चौबीस तीर्थंकरों की कल्याणक तिथियाँ
श्री ऋषभदेव चालीसा -आर्यिका चन्दनामती -दोहा- सिद्धप्रभू को नमन कर, सिद्ध करूँ सब काम। अरिहन्तों के नमन से, पाऊँ आतम धाम।।१।। पंचकल्याणक से सहित, तीर्थंकर अरिहन्त। अष्टकर्म को नष्ट कर, बने सिद्ध भगवन्त।।२।। उनमें ही प्रभु ऋषभ का, चालीसा सुखकार। पढ़ो सुनो सब भव्यजन, हो जाओ भव पार।।३।। -चौपाई- जय हो आदिनाथ परमेश्वर, जय हो…
महाशांतिधारा ।।ॐ नम: शांतिजिनेशिने।। —शार्दूलविक्रीडित छंद— श्री खण्डोद्भवकर्दमै: सुरुचिरै: कर्पूरचूर्णैर्मितै:। संमिश्रैरतिगन्धिभिर्नदनदीकासारकूपादिभि:।। पाथोभि: परिपूरितेन कलशैर्नान्त: स्थितैर्नात्मनां। शान्त्यर्थं महाशांतिमंत्रपठनैर्देवं जिनं स्नापये।।१।। गद्य ॐ कर्पूरकाश्मीरागुरुमलयजादिक्षोदव्यामिश्रैर्निर्णिक्तस्वर्ण-रेणूयमान-कञ्ज-किंजल्क-पुञ्जपिञ्जरितैर्विजितविलसद्विलासिनीविलोल-लोचन-नीलनीरज-जलदपरिपूरितै: परिपूरितसकलजगद्घ्राणविवर-बंधुरसौगंध्यै:। —वसन्ततिलका छंद— अन्धीकृतालिभिरभिष्टुतहेमकुम्भ- सन्धारितैर्विजितदिग्द्विपदानगन्धै:। बन्धुप्रभुं भवभृतां हतघातिबन्धम्, गन्धोदवैâर्जिनपतिं स्नपयामि शान्त्यै।।२।। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्हं वं मं हं सं तं पं वं वं मं मं हं हं सं सं तं तं…
जिनवाणी स्तुति -आर्यिका चन्दनामती तर्ज—होठों से छू लो तुम…… माता तेरे चरणों में, हम वन्दन करते हैं। तेरे ज्ञान की गरिमा का, अभिवन्दन करते हैं।।टेक.।। मेरे मन के अंधेरे में, कुछ ज्ञान प्रकाश भरो। जीवन के सबेरे में, अब कुछ तो विकास करो।। पावन पद कमलों में, शत वन्दन करते हैं। तेरे ज्ञान की गरिमा…
पारसनाथ स्तुति तुमसे लागी लगन, ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा, मेटो मेटो जी संकट हमारा।।तुमसे. निशदिन तुमको जपूँ, पर से नेहा तजूँ, जीवन सारा, तेरे चरणों में बीते हमारा।तुमसे. अश्वसेन के राजदुलारे,वामा देवी के सुत प्राण प्यारे। सबसे नेहा तोड़ा, जग से मुँह को मोड़ा, संयम धारा, मेटो मेटो जी संकट हमारा।।तुमसे. इन्द्र और…
भजन -आर्यिका चन्दनामती तर्ज-रोम-रोम से……. जनम जनम में पाऊँ जिनवर दर्श तुम्हारा-हाँ दर्श तुम्हारा। जम्बूद्वीप की रचना सा ना देखा कहीं नजारा।।जनम…… देखो तो स्वर्णाचल मेरु वैâसी छवि दरशाता। सूर्य चंद्र की किरणों से प्राकृतिक न्हवन करवाता। गंगा सिंधु नदियों की बहती है निर्मल धारा।।जनम…..।।१।। अपनी सुन्दरता के कारण जम्बूद्वीप प्रसिद्ध हुआ। श्वेत कमल का…
पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की आरती -आर्यिका चन्दनामती तर्ज—कभी राम बनके…………. भक्ति भाव लेकर, दीपक थाल लेकर, गणिनी माता की आरती करें हम।।टेक.।। तुम ज्ञानमती कहलाईं, तुम बालसती बन आईं, दीपक हाथ लेकर, सबको साथ लेकर, गणिनी माता की आरती करें हम।।१।। इतिहास की तुम निर्मात्री,कई तीर्थों की प्रेरणाप्रदात्री, नई याद लेकर, भक्ति साथ…
श्री वीरसागर महाराज की आरती -आर्यिका चन्दनामती तर्ज—ॐ जय…………. ॐ जय जय गुरुदेवा, स्वामी जय जय गुरुदेवा। जिनवर के लघुनंदन-२, वीर सिन्धु देवा।।ॐ जय.।। श्रीचारित्रचक्रवर्ती के, प्रथम शिष्य माने।स्वामी…….. पट्टाचार्य प्रथम बन-२, निज पर को जानें ।।ॐ जय.।।१।। संघ चतुर्विध के अधिनायक, छत्तिस गुणधारी। स्वामी……. गुरूपूर्णिमा के दिन जन्मे-२, गुरुपद के धारी ।।ॐ जय.।।२।। आश्विन…
चारित्रचक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज की आरती -आर्यिका चन्दनामती तर्ज—मन डोले, मेरा …….. जय जय गुरुवर, हे सूरीश्वर, श्री शांतिसिन्धु महाराज की, मैं आज उतारूँ आरतिया।।टेक.।। जग में महापुरुष युग का, परिवर्तन करने आते । अपनी त्याग तपस्या से वे, नवजीवन भर जाते ।।गुरुजी नवजीवन………… जग धन्य हुआ, तव जन्म हुआ, मुनि परम्परा साकार…
भगवान बाहुबली की आरती -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती तर्ज—जयति जय जय मां सरस्वती जयति वीणा वादिनी…… जयति जय-जय गोम्मटेश्वर, जयति जय बाहूबली। जयति जय भरताधिपति, विजयी अनूपम भुजबली।।टेक.।। श्री आदिनाथ युगादिब्रह्मा, त्रिजगपति विख्यात हैं। गुणमणि विभूषित आदिप्रभु के, भरत और बाहूबली।।जयति.।।१।। वृषभेश जब तप वन चले, तब न्याय नीती कर गये। साकेतनगरीपति भरत, पोदनपुरी बाहूबली।।जयति जय.।।२।।…