क्षमावाणी पूजा
क्षमावाणी पूजा -छप्पय छंद- अंग क्षमा जिन धर्म तनों दृढ़ मूल बखानो। सम्यक रतन संभाल हृदय में निश्चय जानो।। तज मिथ्या विष मूल और चित निर्मल ठानो। जिनधर्मी सों प्रीति करो सब पातक भानो।। रत्नत्रय गह भविक जन, जिन आज्ञा सम चालिए। निश्चय कर आराधना, कर्म राशि को जालिए।। ॐ ह्रीं सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र रूप…