श्री चन्द्रप्रभ वन्दना
श्री चन्द्रप्रभ वन्दना -दोहा- परम हंस परमात्मा, परमानंद स्वरूप। नमूं नमूं नित भक्ति से, अजर अमर पद रूप।।१।। -शंभु छंद- जय जय श्री चन्द्रप्रभो जिनवर, जय जय तीर्थंकर शिव भर्ता। जय जय अष्टम तीर्थेश्वर तुम, जय जय क्षेमंकर सुख कर्ता।। काशी में चन्द्रपुरी सुंदर, रत्नों की वृष्टी खूब हुई। भू धन्य हुई जन धन्य हुए,…