ढाईद्वीप वंदना
ढाईद्वीप वंदना….. -दोहा- परम ज्योति परमात्मा, सकल विमल चिद्रूप। जिनवर गणधर साधुगण, नमूँ नमूँ जिनरूप।।१।। -शंभु छंद- जय जय पाँचों मेरू के जिन, मंदिर हैं शाश्वत रत्नमयी। जय जय जिनमंदिर बीसों ही, गजदंतगिरी के स्वर्णमयी।। जय जय जंबूतरु शाल्मलि के, दश जिनमंदिर महिमाशाली। जय जय वक्षारगिरी के भी, अस्सी जिनगृह गरिमाशाली।।२।। जय इक सौ सत्तर…