सर्वसाधु परमेष्ठी स्तोत्रा
सर्वसाधु परमेष्ठी स्तोत्रा -दोहा- चिच्चैतन्य सुकल्पतरु, आश्रय ले सुखकार। शिवपफल की वा×छा करें, नमँू साधु गुणधर।।1।। चाल-हे दीनबंध्ु…… जैवंत साध्ुवृंद सकल द्वंद्व निवारें। जैवंत सुखानन्द स्वात्म तत्त्व विचारें।। जै जै मुनीन्द्र नग्नरूप धर रहे हैं। जै जै अनंत सौख्य के आधर भये हैं।।2।। गुरुदेव अट्ठाईस मूलगुण को धरते। उत्तर गुणों को शक्ति के अनुसार धरते।।…