पंचमहागुरुभक्ति
पंचमहागुरुभक्ति श्री कुन्दकुन्ददेव कृत प्राकृत का पद्यानुवाद -गणिनी ज्ञानमतीद्ध -कुसुमलता छंद- सुरपति नरपति नाग इंद्र मिल, तीन छत्रा धरें प्रभु पर। पंच महाकल्याणक सुख के, स्वामी मंगलमय जिनवर।। अनंत दर्शन ज्ञान वीर्य सुख, चार चतुष्टय के धरी। ऐसे श्री अर्हंत परम गुरू, हमें सदा मंगलकारी।।1।। ध्यान अग्निमय बाण चलाकर, कर्म शत्राु को भस्म किये। जन्म…