पुण्यास्रव स्तोत्र (लघु)
पुण्यास्रव स्तोत्र (लघु) -दोहा- तीर्थंकर जिनकेवली, आस्रव बंध विमुक्त। मन वच तन से नित नमूं, मोक्ष तत्त्व से युक्त।।१।। -गीता छंद- जय जय जिनेश्वरदेव, तीर्थंकर प्रभू जिनकेवली। अर्हंत परमेष्ठी सकल, आस्रवरहित जिनकेवली।। इनकी करूँ मैं वंदना, कर जोड़ नाऊं शीश को। इनसे करूँ मैं प्रार्थना, शत-शत झुकाऊँ शीश को।।२।। साता करम ही आस्रवे, ईर्यापथास्रव नाम…