नंदीश्वरद्वीप पूर्वदिश जिनालय स्तोत्र
नंदीश्वरद्वीप पूर्वदिश जिनालय स्तोत्र -गीताछंद- वर द्वीप नंदीश्वर सुअष्टम, तीन जग में मान्य हैं। बावन जिनालय देवगण से, वंद्य अतिशयवान हैं।। पूरब दिशा के जैनगृह, तेरह उन्हों की वंदना। वंदूं यहाँ जिनबिंब को, नितप्रति करूँ जिन वंदना।।१।। -रोला छंद- नंदीश्वर वरद्वीप, पूरबदिश मधि जानो। अंजनगिरि गुण नाम, अतिशय रम्य बखानो।। ईश निरंजन सिद्ध, प्रभु का…