जैनधर्म एवं भगवान ऋषभदेव
जैनधर्म एवं भगवान ऋषभदेव नम: ऋषभदेवाय, धर्मतीर्थप्रवर्तिने। सर्वा विद्या-कला, यस्मा-दाविर्भूता महीतले।।१।। जहाँ यह जीव संसरण करता है, चतुर्गति में परिभ्रमण करता है, उसका नाम ‘‘संसार’’ है। यह संसार ‘‘लोक’’ नाम से भी कहा जाता है- ‘‘लोक्यन्ते’’ अवलोक्यन्ते जीवादिषड्द्रव्याणि अस्मिन्निति लोक:’’ जहाँ पर जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल ये छहों द्रव्य देखे जाते हैं…