णमोकार मंत्र का माहात्म्य
“…णमोकार मंत्र का माहात्म्य…” (श्री उमास्वामि आचार्यविरचित) हिन्दी पद्यानुवाद-आर्यिका चंदनामती विष्लिष्यन् घनकर्मराशिमशनि: संसारभूमीभृत:। स्वर्निर्वाणपुरप्रवेशगमने, नि:प्रत्यवाय: सतां।। मोहांधावटसंकटे निपततां, हस्तावलम्बोर्हतां। पायान्न: स चराचरस्य जगत: संजीवनं मन्त्रराट्।।१।। (१) णमोकार यह मंत्रराज, घनकर्म समूह हटाता है। यह संसार महापर्वत, भेदन में वङ्का कहाता है।। सत्पुरुषों को स्वर्ग मोक्ष दे, संकट दूर भगाता है। मोह महान्धकूप में डूबे, को…