आरती
“…आरती…” -आर्यिका चंदनामती तर्ज-माई रे माई……….. णमोकार महामंत्रराज की आरति करने आये। पाँचों परमेष्ठी का वन्दन, पुण्यधाम दिलवाये।। जय हो मंत्रराज की जय, जय हो णमोकार की जय। पंचपदी णमोकार मंत्र में, पाँचों परमेष्ठी हैं। अर्हत् सिद्धाचार्य उपाध्याय साधु उन्हें कहते हैं।। परमोत्तम पद में स्थित ये, परमेष्ठी कहलाये। पाँचों परमेष्ठी का वन्दन, पुण्यधाम दिलवाये।।…