भजन
भजन…. -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती तर्ज—फूलों सा चेहरा तेरा…… इस युग की माँ शारदे, तू धर्म की प्राण है। ज्ञानमती नाम है, ज्ञान की तू खान है, चारित्र परिधान है।।टेक.।। महावीर प्रभु के शासन में अब तक, कोई भी नारी न ऐसी हुई। साहित्य लेखन करने की शक्ति, तुझमें न जाने वैâसे हुई।। शास्त्र पुराणों में,…