प्रशस्ति
प्रशस्ति —दोहा— ऋषभदेव को निम नमूँ, नमूँ अयोध्या तीर्थ। हुये अनंतानंत ही तीर्थंकर मुनिकीर्त्य।।१।। कुंदकुंद आम्नाय में, गच्छ सरस्वति मान्य। वलात्कारगण सिद्ध है, उनमें सूरि प्रधान।।२।। सदी बीसवीं के प्रथम, शांतिसागराचार्य। उनके पट्टाचार्य थे, वीरसागराचार्य।।३।। देकर दीक्षा आर्यिका, दिया ज्ञानमती नाम। गुरुवर कृपा प्रसाद से, सार्थ हुआ कुछ नाम।।४।। वीरशब्द पच्चीस सौ, उनंचास विख्यात। भादो…