समवसरण में आठ भूमि और तीन कटनी
समवसरण में आठ भूमि और तीन कटनी १. पहली ‘‘चैत्यप्रासादभूमि’’ है, इसमें एक-एक जिनमंदिर के अंतराल में पाँच-पाँच प्रासाद हैं। २. दूसरी ‘‘खातिकाभूमि’’ है, इसके स्वच्छ जल में हंस आदि कलरव कर रहे हैं और कमल आदि पुष्प खिले हैं। ३. तीसरी ‘‘लताभूमि’’ है, इसमें छहों ऋतुओं के पुष्प खिले हुए हैं। ४. चौथी ‘‘उपवनभूमि’’…