भजन
“…भजन…” -आर्यिका चन्दनामती तर्ज-श्री सिद्धचक्र का पाठ…….. श्री तीस परम चौबीस, सात सौ बीस जिनेश्वर ध्याऊँ, भवबंधन शीघ्र मिटाऊँ। त्रय लोक कहे परमागम में, है मध्यलोक इनके मधि में। कृत्याकृत्रिम जिनचैत्य वंदना गाऊँ, भवबंधन शीघ्र मिटाऊँ। ढाई द्वीपों में पाँच भरत, है पाँच क्षेत्र शुभ ऐरावत। दस क्षेत्रों के त्रैकालिक जिनवर ध्याऊँ, भवबंधन शीघ्र मिटाऊँ।…