व्यवहारचारित्र अधिकार
व्यवहारचारित्र अधिकार मालिनी- त्रसहतिपरिणामध्वांतविध्वंसहेतु:। सकलभुवनजीवग्रामसौख्यप्रदो य:।। स जयति जिनधर्म: स्थावरैकेन्द्रियाणां। विविधवधविदूरश्चारुशर्म्माब्धिपूर:।।७६।। अर्थ-जो त्रस घात के परिणामरूप अंधकार के विध्वंस का हेतु है, सकल भुवन के जीवसमूह को सौख्य प्रदान करने वाला है, स्थावरकायिक एकेन्द्रिय जीवो के विविध प्रकार के वध बहुत ही दूर हैं और उत्तम सुखरूपी समुद्र का पूर है ऐसा वह जैनधर्म जयशील…