श्री अजितवीर्य तीर्थंकर पंचकल्याणक स्तुति
श्री अजितवीर्य तीर्थंकर पंचकल्याणक स्तुति वंदन शत शत बार है, अजितवीर्य प्रभु चरण कमल में, वंदन शत शत बार है। जिनका गर्भकल्याणक नमते, मिले सौख्य भण्डार है।। अजितवीर्य…..।। विद्युन्माली मेरु पश्चिम, विदेह नदि के उत्तर में। पुरी अयोध्या पितु सुबोध नृप, प्रसू कनकमाला उर में।। गर्भ बसे जगवंद्य नमूँ नित, मिले निजातम सार है। अजितवीर्य…