भजन
भजन तर्ज-कांची हो कांची रे……………. आया है आया पार्श्वनाथ का महोत्सव, करना है काम दिल खोल के। आया तृतीय सहस्राब्दी महोत्सव, पारस प्रभू की जय बोल के।।टेक.।। तेइसवें तीर्थंकर पारसनाथ प्रभो, अश्वसेन वामा माँ के लाल प्रभो। माता-पिता धन्य हुए, जिनवर के जन्म से, बैठे थे भण्डार खोल के।। आया है……।।१।। चिन्तामणि संकटमोचन कहते सभी,…