01. प्रथम परिच्छेद
प्रथम परिच्छेद पद्यानुवादकर्त्री- श्रीमती त्रिशला जैन (लखनऊ) नम: श्री वर्धमानाय निर्धूत कलिलात्मने । सालोकानां त्रिलोकानां यद्विद्या दर्पणायते ।। १. मंगलाचरण ज्ञानावरणादिक पापकर्म आत्मा से नष्ट किए जिनने। उन वीरप्रभु को नमन करूं सालोक—त्रिलोक ज्ञान जिनके।। जैस चक्षु दर्पण को लख निजमुख अवलोकन करता है। वैसे केवलज्ञानी आत्मा में सारा जगत झलकता है।। जिन्होंने सम्पूर्ण कर्म…