(प्रत्यक्ष प्रमाण के भेद का कथन)
(प्रत्यक्ष प्रमाण के भेद का कथन) वह प्रत्यक्ष प्रमाण मुख्य और संव्यवहार के निमित्त से दो प्रकार का है। उसमें मुख्य प्रत्यक्ष के तीन भेद हैं-अवधिज्ञान, मन:पर्ययज्ञान और केवलज्ञान। ये ज्ञान अशेष रूप से विशद-स्पष्ट प्रतिभासी हैं और इन्द्रिय आदि की अपेक्षा नहीं रखते हैं। अपने-अपने आवरण विशेष के पृथक् होने से उत्पन्न होते हैं…