मंगलगोचर भक्त प्रत्याख्यान क्रिया
मंगलगोचर भक्त प्रत्याख्यान क्रिया नमोऽस्तु मंगलगोचरभक्तप्रत्याख्यानप्रतिष्ठापनक्रियायां पूर्वाचार्यानुक्रमेण सकलकर्मक्षयार्थं भावपूजावंदनास्तवसमेतं सिद्धभक्तिकायोत्सर्गं करोम्यहं। (पूर्ववत् दण्डक, जाप्य, थोस्सामि करके सिद्धभक्ति पढ़ें।) प्राकृत सिद्धभक्ति का पद्यानुवाद (अथवा प्राकृत या संस्कृत की सिद्धभक्ति भी पढ़ सकते हैं) श्री सिद्धचक्र सब आठ कर्म, विरहित औ आठ गुणों युत हैं। अनुपम हैं सब कार्य पूर्ण कर, अष्टम पृथ्वी पर स्थित हैं।। ऐसे…