मंगलाचरण
मंगलाचरण…. श्री अनंतजिन स्तोत्र -उपजाति छंद- अनंत! दृग्ज्ञानसुवीर्यसौख्यं, अनन्ततां याति तव प्रसादात्। अनंतदोषान् जिन! मे पुनीहि, नमाम्यनंतं हृदि धारये त्वाम्।।१।। हे नाथ! अनंत गुणाकर तुम, साकेतपुरी में जन्म लिया। जयश्यामा माँ सिंहसेन पिता ने, कीर्तिध्वजा को लहराया।। कार्तिक वदि एकम गर्भ बसे, वदि ज्येष्ठ दुवादशि जन्मे थे। इस ही तिथि में दीक्षा लेकर, तप तपते…