प्रशस्ति
प्रशस्ति -दोहा- तीर्थंकर चक्री मदन, त्रयपद धारी ईश। शांतिनाथ भगवान को, नमूँ-नमूँ नत शीश।।१।। कुंथुनाथ-अरनाथ प्रभु, तीन-तीन पद नाथ। इनके श्री चरणाब्ज को, नमूँ नमाकर माथ।।२।। वर्तमान में वीरप्रभु, शासनपति भगवान। इनके शासन में हुये, बहु आचार्य महान।।३।। मूलसंघ में कुंदकुंद गुरु, अन्वय सरस्वतिगच्छ। बलात्कारगण में हुए , सूरि नमूँ मन स्वच्छ।।४।। सदी बीसवीं के…